UPI New Rule: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI ट्रांजैक्शन को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए नए नियमों की घोषणा की है। 1 अप्रैल 2025 से ये नियम प्रभावी होंगे, जिससे UPI पेमेंट सिस्टम में इंटरऑपरेबिलिटी और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। NPCI ने नए नियमों के तहत Numeric UPI ID Mapper और UPI नंबर को रोलआउट करने की योजना बनाई है।

क्या है नया UPI नियम?
NPCI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSP) को अपने डेटा को नियमित रूप से अपडेट करना होगा। खासतौर पर, उन मोबाइल नंबरों को हटाना होगा जो डिस्कनेक्ट या सरेंडर कर दिए गए हैं।
मुख्य बदलाव:
✔ बैंकों को हफ्ते में कम से कम एक बार डेटाबेस अपडेट करना अनिवार्य होगा ताकि पुराने या निष्क्रिय मोबाइल नंबरों के कारण गलत ट्रांजैक्शन की संभावना को रोका जा सके।
✔ अगर कोई मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट हो गया है और किसी दूसरे यूजर को अलॉट कर दिया गया है, तो वह पुराने UPI लिंक से पेमेंट रिसीव नहीं कर पाएगा।
✔ अगर NPCI का मैपर सिस्टम ठीक से काम नहीं करता, तो PSP ऐप्स को नंबरों को लोकल लेवल पर रिजॉल्व करने की अनुमति होगी। लेकिन इसके लिए उन्हें हर महीने NPCI को रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।
UPI ट्रांजैक्शन में सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास
NPCI ने स्पष्ट किया है कि UPI ऐप्स को यूजर्स से पारदर्शी और गैर-दखल देने वाले तरीके से संवाद करना होगा।
🚫 किसी भी प्रकार की भ्रामक या जबरदस्ती की मैसेजिंग नहीं होगी।
✔ UPI नंबर की सीडिंग या पोर्टिंग से संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी तरह से स्पष्ट होंगी।
✔ यूजर्स की सहमति (Consent) ट्रांजैक्शन से पहले या उसके दौरान नहीं ली जाएगी।
कब से लागू होगा नया नियम?
📅 नए नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।
✔ सभी बैंक और PSP को 31 मार्च 2025 तक इन दिशानिर्देशों के अनुसार खुद को तैयार करना होगा।
✔ हर महीने, बैंकों और PSP को NPCI के साथ डेटा शेयर करना होगा।
डेटा शेयरिंग का फॉर्मेट:
📌 कुल सीडिंग काउंट: कितने मोबाइल नंबर UPI मैपर में जोड़े गए?
📌 महीने के एक्टिव यूनिक यूजर्स: कितने यूजर्स सक्रिय रहे?
📌 कुल CMID ट्रांजैक्शन्स: महीने में कितने CMID ट्रांजैक्शन्स हुए?
📌 लोकल लेवल पर रिजॉल्व्ड UPI ट्रांजैक्शन्स: कितने ट्रांजैक्शन्स लोकल लेवल पर सॉल्व किए गए?
आपके लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव?
अगर आप UPI यूजर हैं, तो यह अपडेट आपके पेमेंट अनुभव को अधिक सुरक्षित और तेज़ बना देगा।
🔹 गलत ट्रांजैक्शन की संभावनाएं कम होंगी।
🔹 UPI नंबर आधारित पेमेंट अधिक सुरक्षित हो जाएगी।
🔹 डिस्कनेक्टेड नंबर से जुड़ी पेमेंट संबंधी दिक्कतें खत्म होंगी।