लोकसभा में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों से संबंधित बिल पेश: प्रस्तावित कानून मौजूदा कानूनों से कैसे अलग है | 10 बिंदु

भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत सरकार ने मंगलवार, 11 मार्च को लोकसभा में “इमिग्रेशन और विदेशी नागरिकों” से संबंधित बिल 2025 पेश किया। यह बिल इमिग्रेशन और विदेशी नागरिकों से संबंधित विभिन्न सेवाओं को सुव्यवस्थित करने का उद्देश्य रखता है, जिसमें भारत में उनकी प्रवेश, निकासी और निवास को शामिल किया गया है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, जिन्होंने लोकसभा में यह बिल पेश किया, ने कहा कि जबकि पर्यटकों का भारत में स्वागत किया जाता है, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देश की शांति और संप्रभुता को बनाए रखे।

विपक्ष का विरोध:
विपक्ष ने इस प्रस्तावित कानून को संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन बताया है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह बिल संविधान के कई प्रावधानों और विभिन्न कानूनों का उल्लंघन करता है। उनका कहना था कि यह बिल मौलिक अधिकारों के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, और सरकार इस कानून का उपयोग उन लोगों को प्रवेश से वंचित करने के लिए कर सकती है जो सत्ता में बैठे दल के विचारधारा से मेल नहीं खाते हैं। तृणमूल कांग्रेस के सौगात राय ने कहा कि यह कानून विदेशी क्षेत्रों से प्रतिभा के प्रवेश को रोक सकता है।

हालांकि, मंत्री राय ने कहा कि यह ड्राफ्ट कानून देश में मौजूद इमिग्रेशन और विदेशी नागरिकों से संबंधित कानूनों में भिन्नताएँ और अनावश्यक प्रावधानों को सुधारने का प्रयास करता है।

कानून में क्या बदलाव होंगे?
यह बिल चार उपनिवेशी कालीन कानूनों को बदलने का प्रस्ताव करता है, जिनमें फॉरेनर्स एक्ट 1946, पासपोर्ट (इंट्री इंटू इंडिया) एक्ट 1920, फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1939 और इमिग्रेशन (कैरियर्स’ लाइबिलिटी) एक्ट 2000 शामिल हैं।

वर्तमान कानून क्या हैं?
भारत में विदेशी नागरिकों के प्रवेश, निवास और निकासी को वर्तमान में फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1939 और फॉरेनर्स एक्ट 1946 द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ये कानून संविधान से पहले के हैं और द्वितीय विश्व युद्ध के समय के हैं।

वर्तमान वीजा प्रणाली क्या है?
भारत सरकार विदेशों में भारतीय मिशनों या पोस्ट्स द्वारा शारीरिक या स्टिकर वीजा जारी करती है, जबकि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (BoI) सात श्रेणियों में 167 देशों के नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक वीजा जारी करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा:
यदि कोई विदेशी राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा उत्पन्न करता है, तो उसे भारत में प्रवेश और रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जैसा कि नए बिल में प्रावधान है।

सख्त दंड:
बिल के अनुसार, यदि कोई विदेशी बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के भारत आता है, तो उसे पांच साल तक की सजा और ₹5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। यदि किसी ने जाली दस्तावेजों का उपयोग किया है, तो उसे दो से सात साल की सजा हो सकती है, और जुर्माना ₹1 लाख से ₹10 लाख तक हो सकता है।

प्रवासी पर जिम्मेदारी:
प्रस्तावित कानून में, प्रवासी की वैध स्थिति साबित करने की जिम्मेदारी अब राज्य की बजाय व्यक्ति पर होगी।

एयरलाइंस और वाहकों की जिम्मेदारी:
अब एयरलाइंस और वाहकों पर अधिक जिम्मेदारी डाली गई है। अगर वाहक बिना वैध दस्तावेजों के विदेशियों को भारत लाता है, तो उसे ₹5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उसका परिवहन ज़ब्त भी किया जा सकता है।

जिला मजिस्ट्रेट को अधिक अधिकार:
यह बिल इमिग्रेशन अधिकारियों को बिना वारंट के व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है, और केंद्रीय सरकार को भारत में विदेशियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए अधिक अधिकार प्रदान करता है।

केंद्र को अधिक शक्तियां:
प्रस्तावित कानून केंद्र को कुछ अधिकार प्रदान करेगा, जैसे कि भारत में प्रवेश और निकासी करने वाले व्यक्तियों के पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों की आवश्यकता को नियंत्रित करना और विदेशी नागरिकों से संबंधित मामलों को नियंत्रित करना।

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