इजरायल के फैसले से गाजा में बढ़ेगा तनाव, संघर्ष विराम पर मंडराया खतरा

इजरायल और हमास के बीच चल रहा संघर्ष विराम इस सप्ताह के अंत में समाप्त होने वाला है, लेकिन इससे पहले ही इजरायल ने एक बड़ा फैसला लिया है। इजरायली सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलाडेल्फी गलियारे में तैनात रहेगी। इस निर्णय से संघर्ष विराम को लेकर हमास और मध्यस्थ मिस्र के बीच तनाव और बढ़ सकता है।

इजरायल का अगला कदम क्या?

इजरायली अधिकारियों ने कहा कि सेना को मिस्र से सटी गाजा की सीमा पर स्थित फिलाडेल्फी गलियारे में मौजूद रहना जरूरी है। उनका दावा है कि इस गलियारे के जरिए हथियारों की तस्करी होती है, जिसे रोकने के लिए सेना की उपस्थिति आवश्यक है।

इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने स्थानीय नेताओं के साथ बैठक के दौरान कहा कि उन्होंने हाल ही में गलियारे का दौरा किया और सीमा पार सुरंगें देखी हैं। हालांकि, उन्होंने इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं दिए और न ही इजरायल की योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। इस पर हमास ने चेतावनी दी कि गलियारे में “बफर जोन” बनाए रखना संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन होगा।

संघर्ष विराम का भविष्य अनिश्चित

इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष विराम जल्द ही खत्म होने वाला है, लेकिन इसके दूसरे चरण पर बातचीत अब तक शुरू नहीं हुई है। इस वार्ता का भविष्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पश्चिम एशिया मामलों के दूत स्टीव विटकॉफ की यात्रा पर निर्भर करेगा, जो जल्द ही इस क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं।

हमास का कहना है कि संघर्ष विराम को बनाए रखना ही गाजा में बंधक बनाए गए दर्जनों लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है। अब तक हमास ने लगभग 2,000 फलस्तीनी कैदियों के बदले में 33 बंधकों (8 शवों सहित) को छोड़ा है।

हमास के पास अब कितने बंधक हैं?

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सभी बंधकों की सुरक्षित वापसी और हमास की सैन्य ताकत को समाप्त करने का संकल्प लिया है। ट्रंप प्रशासन ने इस कदम का समर्थन किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब हमास के पास 59 बंधक हैं, जिनमें से 32 के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है।

अब तक संघर्ष विराम या अन्य समझौतों के तहत लगभग 150 बंधकों को रिहा किया गया है, जबकि दर्जनों शवों को इजरायली सेना ने बरामद किया है। वहीं, फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायल के सैन्य हमलों में अब तक 48,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों की संख्या आधी से अधिक है।

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