क्या एआई पर पूरी तरह भरोसा करना सही है? यह सवाल अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यदि आप भी एआई की मदद से तस्वीरें बनवाते हैं, तो आपने जरूर अनुभव किया होगा कि कई बार एआई द्वारा बनाए गए नतीजे आपकी उम्मीदों से बिल्कुल अलग होते हैं। हमने Meta AI, GrokAI और ChatGPT जैसे तीन प्लेटफॉर्म्स पर एक ही कमांड देकर यह देखा कि एआई के नतीजे कितने भिन्न हो सकते हैं।
AI के झोलझाल पर मोदी का जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में एक AI समिट को संबोधित करते हुए कहा कि एआई को व्यवस्थित ढंग से विकसित करने के लिए एक व्यापक सिस्टम की जरूरत है। भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए IndiaAI Mission पर काम कर रहा है। हालांकि, हर तरफ एआई की चर्चा हो रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तकनीक पर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता है?
AI में कंफ्यूजन और झोलझाल
कई बार एआई कमांड को ठीक से समझ नहीं पाता, जिससे रिजल्ट गलत हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब Meta AI, GrokAI और ChatGPT को एक ही कमांड दी गई, तो तीनों ने अलग-अलग नतीजे दिए। हमने इनसे कहा कि वे एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर बनाएं, जो बाएं हाथ से लिख रहा हो। लेकिन, ChatGPT इस साधारण सी कमांड को ही समझ नहीं पाया, और Meta AI तथा GrokAI ने भी तस्वीरें तो बनाईं, लेकिन उसमें व्यक्ति दाएं हाथ से लिखता हुआ दिखाया गया।
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गलत रिजल्ट का कारण
इस तरह की गलतियां इसलिए हो सकती हैं, क्योंकि एआई को ट्रेनिंग के दौरान यह सिखाया गया है कि अधिकतर लोग दाएं हाथ से लिखते हैं। इसके अलावा, भाषा की जटिलता और इमेज रिकग्निशन मॉडल की सीमाएं भी इन गलतियों का कारण बन सकती हैं। एआई के सिस्टम में डेटा की कमी या इमेज रिक्वेस्ट को समझने में परेशानी भी नतीजों में अंतर पैदा कर सकती है।
तकनीकी सीमाओं का प्रभाव
एआई की ट्रेनिंग डेटा और तकनीकी सीमाएं इसे कंफ्यूज कर सकती हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि सटीक रिजल्ट देने के बजाय एआई उस सामान्य धारणा पर आधारित नतीजे दिखा देता है, जो उसकी ट्रेनिंग के दौरान बनाई गई थी।
क्या AI पर भरोसा करना सही है?
हालांकि, एआई एक उभरती हुई क्रांतिकारी तकनीक है, लेकिन इस पर पूरी तरह निर्भर होना अभी सही नहीं है। यह समझना जरूरी है कि एआई भी इंसानों की तरह कभी-कभी कंफ्यूज हो सकता है। इसलिए, एआई द्वारा दी गई जानकारी या बनाए गए नतीजों की हमेशा जांच करना जरूरी है।
निष्कर्ष
AI को बेहतर बनाने के लिए इसकी ट्रेनिंग और सिस्टम को और अधिक सटीक और विस्तृत बनाना होगा। जब तक एआई इन कमियों को दूर नहीं कर पाता, तब तक इसके नतीजों को पूरी तरह सही मानना उचित नहीं होगा।