कई शोधकर्ता यह जानने के लिए अध्ययन कर रहे हैं कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग खेतों में जानवरों की भलाई की निगरानी के लिए किया जा सकता है। इसी दिशा में यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड ब्रिस्टल (UWE) और स्कॉटलैंड के रूरल कॉलेज (SRUC) के शोधकर्ताओं ने मिलकर “इंटेलिपिग” (Intellipig) नामक एक प्रणाली विकसित की है।
इस नई तकनीक के जरिए AI मॉडल और कंप्यूटर विजन का उपयोग कर जानवरों के चेहरे के भावों से उनकी भावनाओं और दर्द को पहचाना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, शोध समूह इस तकनीक को खेती से जुड़े जानवरों के भावनात्मक संकेत और संकट की पहचान के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि AI मॉडल को उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा से प्रशिक्षित किया जाए, तो यह वास्तविक समय में पहचान सकता है कि किसी जानवर को सहायता की आवश्यकता है या नहीं।

कैसे काम करता है AI-आधारित इंटेलिपिग सिस्टम?
शोधकर्ताओं ने इस सिस्टम को फार्मों में लागू किया है और इसके माध्यम से सैकड़ों सूअरों की निगरानी की जा रही है। प्रक्रिया के तहत:
- हर सुबह प्रत्येक सुअर की तस्वीर ली जाती है।
- AI के माध्यम से उनकी पहचान की जाती है और प्रत्येक सुअर को विशिष्ट भोजन प्रदान किया जाता है।
- AI उनके चेहरे के भावों की गहराई से जांच करता है।
अगर AI को किसी सुअर के चेहरे पर असामान्य लक्षण, तनाव या दर्द के संकेत दिखाई देते हैं, तो यह तुरंत किसान को अलर्ट भेज देता है। इससे किसान समय पर स्थिति का आकलन कर उचित कदम उठा सकते हैं।
भविष्य में AI की भूमिका:
शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में यह सिस्टम जानवरों की भावनाओं और मानसिक स्वास्थ्य का भी गहराई से विश्लेषण कर सकेगा। इससे किसान अपने जानवरों की सेहत को और बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।
क्या जानवरों के हाव-भाव से उनकी स्थिति जानना नया है?
जानवरों के चेहरे के हाव-भाव और उनके व्यवहार के आधार पर उनकी सेहत का आकलन करना कोई नया विचार नहीं है। प्रशिक्षित विशेषज्ञ पहले से ही इस पद्धति का उपयोग करते आ रहे हैं। हालांकि, इसमें अधिक समय और श्रम की आवश्यकता होती है।
- एक मानव विशेषज्ञ को किसी जानवर के चेहरे की मांसपेशियों का विश्लेषण करने में औसतन 100 सेकेंड लगते हैं।
- वहीं, AI यह काम कुछ सेकंड में और बड़े पैमाने पर कर सकता है।
निष्कर्ष:
AI की मदद से जानवरों की भावनाओं और जरूरतों को पहचानना न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह पशुओं की भलाई और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। इससे पशुपालन अधिक कुशल और संवेदनशील बन सकेगा।