एथेंस. ग्रीस और यूरोजोन की अर्थव्यवस्था के मद्देनजर 5 जुलाई यानी रविवार को अहम जनमत संग्रह होना है। इसके तहत ग्रीस की जनता यह तय करेगी कि उसे कड़े शर्तों के साथ मिलने वाला पश्चिमी देशों का बेलआउट पैकेज स्वीकार्य है या नहीं। इससे पहले प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने देश की जनता से जनमत संग्रह को ना कहने की अपील की है। सिप्रास ने शुक्रवार रात राजधानी की स्यान्तग्मा स्क्वेयर पर 25,000 सर्मथकों को संबोधित करते वक्त संकट से निकलने के अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव की शतरें को अस्वीकार करने की अपील की। हालांकि, सरकार विरोध रैली में चेतावनी दी गई कि अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव को अस्वीकार करने का मतलब यूरोजोन से बाहर हो जाना होगा। इसके अलावा यूरो करंसी ड्रॉक्मा में बदल दी जाएगी, जिसकी कोई कीमत नहीं रह जाएगी। बता दें कि भारत के एक रुपए के बराबर 4.78 ग्रीक ड्रॉक्मा होता है।
ग्रीस में अनिश्चितता का माहौल है, आलम यह है कि खाने-पीने की चीजों की भी किल्लत हो गई है। पूरे सरकार की ओर से बैंकों को बंद करने के ऐलान की वजह से देश में एटीएम पर लोग कतारों में खड़े दिखाई दे रहे हैं। यही नहीं लोगों ग्रीस के भविष्य को लेकर इस कदर आशंकित हैं कि वह खाने-पीने की चीजों की जमकर खरीददारी कर स्टॉक कर रहे हैं। यूरोजोन से बाहर निकलने के लिए मतदान करते हैं तो देश का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंस सकता है।
ग्रीस की लोकप्रिय न्यूज वेबसाइट एकाथिमेरिनी के मुताबिक सिकंदर के इस देश में इन दिनों ताजे मीट, मछली और अन्य सामग्रियों की किल्लत देखने को मिल रही है। जनमत संग्रह का ऐलान किए जाने के बाद से ग्रीस में खाद्य सामग्री की खरीद 35 फीसदी बढ़ गई है। यही नहीं आने वाले दिनों में पास्ता, चावल और बींस जैसी चीजों की भी कमी हो सकती है। मुसीबत इसलिए भी बड़ी हो गई है, क्योंकि निर्यातकों में भी डर का माहौल है वह ग्रीस के लिए सप्लाई कम कर रहे हैं। गार्जियन की रिपोर्ट में ग्रीस के नेशनल कनफेडरेशन ऑफ हेलेनिक कॉर्मस के मुखिया वासिलिस कोरकिदिस के हवाले से कहा गया है कि पूरे देश में इन दिनों आयात, निर्यात, फैक्टरी, फर्म और ट्रांसपोर्ट समेत पूरा कारोबार ही ठप पड़ा है।