बांग्लादेश में पिछले साल जुलाई-अगस्त के बीच हुई हिंसा में कम से कम 1400 लोगों की मौत हुई थी। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक हालिया रिपोर्ट में किया गया है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि अब तक बांग्लादेश सरकार इन मौतों को छुपाती रही थी।
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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2024 की गर्मियों में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हुए छात्र प्रदर्शनों पर की गई कार्रवाई में बड़े पैमाने पर लोगों की जान गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हुए इन विरोध प्रदर्शनों में 1400 से अधिक लोगों की मौत हुई और हजारों लोग घायल हुए।
संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि बांग्लादेश की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां “व्यवस्थित रूप से” मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल थीं। यह मानवता के खिलाफ अपराध हो सकता है और इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए।
शेख हसीना को छोड़ना पड़ा था देश
बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन इतने तेज़ हो गए थे कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत आना पड़ा। 5 अगस्त 2024 से वे भारत में रह रही हैं। इन प्रदर्शनों के बाद उनकी पार्टी अवामी लीग की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई थी।
इसके बाद, 8 अगस्त 2024 को मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की कमान संभाली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने इस मामले में कहा कि प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए राजनीतिक नेतृत्व और सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर “न्यायिक हत्याएं, मनमानी गिरफ्तारियां और दमनकारी नीतियों” को अपनाया।
क्या आगे कोई कार्रवाई होगी?
संयुक्त राष्ट्र ने इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की जरूरत बताई है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो बांग्लादेश सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
तस्वीर:
(बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन को दर्शाने वाली एक डिजिटल आर्ट)