संयुक्त राष्ट्र, 19 फरवरी 2025 – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थाई सदस्यता को लेकर भारत ने एक बार फिर अपनी मजबूत आवाज उठाई है। भारत ने उन देशों को आड़े हाथों लिया है, जो परिषद में नए स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, भारत ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उसका इशारा साफ तौर पर चीन की ओर था, जो लंबे समय से भारत की स्थाई सदस्यता के खिलाफ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि जो देश UNSC में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं, वे यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं और उनकी सोच संकीर्ण एवं गैर-प्रगतिशील है।
“ग्लोबल साउथ” की अनदेखी बर्दाश्त नहीं – भारत
हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा व्यवस्था अब स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा,
“‘ग्लोबल साउथ’ से अन्यायपूर्ण व्यवहार को अब जारी नहीं रखा जा सकता। भारत और दुनिया के अन्य प्रमुख देशों को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय-निर्माण निकायों में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यदि यह सुरक्षा परिषद की बात हो, तो इसका मतलब स्पष्ट रूप से स्थाई सदस्यता से है।”
यह बयान खास तौर पर उन देशों पर निशाना था जो सुधारों की मांग को नजरअंदाज कर रहे हैं।
स्थाई सदस्यता का विरोध करने वालों पर हमला
भारत ने बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए तीन मुख्य सिद्धांतों पर जोर दिया:
- स्थाई और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना।
- टेक्स्ट-आधारित वार्ता की शुरुआत।
- समयबद्ध तरीके से ठोस परिणाम सुनिश्चित करना।
हरीश ने कहा,
“जो देश UNSC के स्थायी सदस्यता विस्तार का विरोध कर रहे हैं, वे बदलाव के खिलाफ हैं और उनकी सोच संकीर्ण है। अब इस सोच को और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
प्रधानमंत्री मोदी भी उठा चुके हैं मुद्दा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जरूरत पर जोर दे चुके हैं। पिछले साल “भविष्य का शिखर सम्मेलन” (Summit of the Future) में उन्होंने कहा था कि “सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है।”
हरीश ने इसी बयान को दोहराते हुए कहा,
“संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा संरचना इतिहास की पुरानी व्यवस्था को दर्शाती है। भारत लंबे समय से सुधारों की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। हमारी दुनिया बदल चुकी है और संयुक्त राष्ट्र को भी समय के साथ बदलना होगा। इसे 1945 की जगह 2025 की वैश्विक स्थिति को प्रतिबिंबित करना चाहिए।”
भारत का UNSC स्थाई सदस्यता के लिए मजबूत दावा
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार की मांग कर रहा है। भारत का मानना है कि 1945 में गठित 15-सदस्यीय सुरक्षा परिषद अब मौजूदा वैश्विक स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शाती और इसमें सुधार की सख्त जरूरत है।
भारत 2021-22 के कार्यकाल के दौरान अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद का हिस्सा रहा है और अब वह स्थायी सदस्यता के लिए अपना दावा और मजबूत कर रहा है।